Tuesday, December 23, 2014

डेरा

मेरा हँसता खेलता डेरा सायद उजड़ जायेगा
कव्वे मेरी मुंडेर पर करने लगे हैं काओं-काओं
यहाँ जगह जगह हुस्न वालों की बे-वफाई के चर्चे हैं
तेरे इस शहर से तो सो दफा अच्छा है मेरा गाओं
याद आता है तेरी बक बक ने पकाये थे कान मेरे
आज तेरी चुप्पियों ने काट लिए मेरे हाथ-पाओं
ख्वाहिश-ए-दिल अब ये है के याद ना अाये तू
अकेला ही चलना है तो फिर क्या देखना धूप-छाओं

Friday, December 19, 2014

इश्क-विश्क

ये हल्का हल्का सा दर्द हालाँकि कई दिनों में जायेगा
अच्छी खबर ये है की कल से आराम है

मैं ख़ास बना रहा उसका जब तक जरुरत थी मेरी
मगर अब मैं उसके लिए और वो मेरे लिए आम है

खबर तो ये भी आई थी के यार बदल लिया उसने
आक थू इश्क़ पर गर इस खबर में जान है

अच्छा अच्छा सा लगता है उसे अब दूर दूर रहना
बड़ा कहती थी तू नहीं तो ये दुनिया शमशान है

ये इश्क-विश्क ये दर्द-वर्द ये रोना धोना उफ्फ
वापस मुड़ चलो रवि बहुत काम है

Wednesday, November 19, 2014

गोलियों की आवाजें

गोलियों की आवाजें जब से आने लगी मंदिरों से ...
भगवान भाग खड़े हुए हैं निकल अपने अपने घरों से ...
अपना वजूद बचा लो तो बेहतर होगा जिन्दा लोगो !!!
इससे पहले के मुर्दे बाहर आने लगें मकबरों से ...

Monday, November 17, 2014

वो सांवरी सी लड़की

मेरी बेचैन आँखों को बड़ा चैन मिले
देखूं जब भी मैं जी भरके
वो सांवरी सी लड़की ...
छू लें जो मुझको कभी उसकी निगाहें
नजरें झुकाये शर्माए
वो सांवरी सी लड़की ...

मैं बैठा ही रहूँ आगोश में उसके
देखता ही रहूँ हसीनियां उसकी
आँखों पे गालों पे माथे पे हाथों पे
उसे चूमती ही रहें मेरी बेसबर निगाहें
क्या क्या सोचे मुझे देखे देखती ही रहे
वो सांवरी सी लड़की ...

मेरे कंधे पर अपना सर टिका के वो
ख़ामोशी से देखती रहे लहरों को
पकड़के हाथ मेरा वो देखती रहे
मेरे हाथों की बेबस लकीरों को
कभी कुछ पूछे कभी कुछ बताये मुझे
वो सांवरी सी लड़की ...

मीलों चले मेरे साथ साथ हाथों में हाथ
कभी चुप रहे वो कभी करे कोई बात
कभी मुस्कुराये कभी जोर से हँसे
कभी तारीफ करे कभी तंज कसे
क्या होगा अपना कैसे जिएंगे मुझसे पूछे
वो सांवरी सी लड़की ...

Thursday, November 13, 2014

सिकंदर

इस धोखे में मत रहना के तू कलन्दर है कोई ...
तू अगर जो दरिया है  , तो समंदर है कोई ...
इस शहर की रंगीनियों की हकीकत कुछ और है ...
वो बूढ़ा जो भूखा सोता है , सुना है सिकंदर है कोई ...

Wednesday, November 12, 2014

दीवार


अच्छा हो के दिलों में फिर से प्यार आ जाए ...
इससे पहले की आँगन में दीवार आ जाए ...

माथे से अपनी कीमत की पर्ची हटा लूँ मैं ...
इससे पहले के मेरे घर में बाजार आ जाए ...

खुदा करे किसी रोज मैं घर से गुस्से में निकलूं ...
और सामने से कोई गद्दार आ जाए ...

काश के मोहब्बत के नसीब में ऐसा होता ...
जो साथ है इस पार वो उस पार आ जाए ...

गरीब झोंपड़ी मेरी महल सी चमक उठे ...
ठहरने इसमें कभी अगर मेरा यार आ जाए ...

बेहतर हो तू रास्ते पर आ जाए दोस्त मेरे ...
इससे पहले के हाथ में हथियार आ जाए ...

गर पास से तू गुजर जाए खुशबू बिखेरती ...
खुदा कसम रूखे चेहरों पर निखार आ जाए ...

वो बना रहा हो जोड़े ईश्क और हुस्न के...
खुदा करे तेरे हिस्से ये गंवार आ जाए...

Tuesday, November 11, 2014

तराजू

इक दौर में मेरे हाथों एक खूबसूरत सा दिल टूट गया था ...
ज़िन्दगी की भाग-दौड़ में एक अच्छा साथी छूट गया था ...

अपने अपने हाल पर हमने इक दूजे को छोड़ दिया ...
खेल खेल में हमने उस दिन हर एक नाता तोड़ लिया ...

निकल पड़े फिर दोनों पंछी अपने अपने रास्ते...
किसने किसको दर्द दिया ना जाने किसके वास्ते ...

मोहब्बतों की राहों में कोई उसे मिला कोई मुझे मिला ...
ना उस जैसा कोई मुझे मिला ना मुझ जैसा कोई उसे मिला  ...

फैसला जो गलत किया था , ये तो आखिर होना ही था ...
मैंने रुलाया किसी को , मुझको तो फिर रोना ही था ...

मुझ जैसे कुसूरवार को माफ़ी नहीं दिया करते ...
जो जान लूटने वाले हों वो लम्बा नहीं जिया करते ...
आज अपना दिल टूटा तो बात समझ में आई ...
तराजू खुदाओं के कभी ना-इंसाफी नहीं किया करते ...

Friday, October 31, 2014

अंगड़ाई

सज संवर के तो आई ही है ,
हो जाएं बेहोश दीवाने ,
गर हाथ उठाके, जोर से ,
इक अंगड़ाई हो जाए ...

जालिम प्यार बहुत आता है ,
सनम से लड़ने के बाद ,
आज अच्छा हो गर ,
थोड़ी लड़ाई हो जाए ...

सहंशाह हैं हम अपने दिल के ,
आज हुस्न लड़ने आया है ,
अब हुक्म ये है मेरे दिल ,
के चढ़ाई हो जाए ...

जोर लगाके सजता है वो ,
चाहने वालों के लिए ,
दिल ने मेरे चाहा के क्यूँ ना,
ऐसे हुस्न की कुछ बड़ाई हो जाए ...

Monday, October 27, 2014

शहंशाह

संभल जाएं वो, हर वक़्त जो , खोए पैमानों में रहते हैं ...
जिनके हाथ है कमान शहर की वो तयखानों में रहते हैं ...
अब कौन बचाए शहर को बर्बादी के मंजर से ...
शहर के जितने शहंशाह हैं , सब मयखानों में रहते हैं ...

Tuesday, October 21, 2014

दिवाली

भूल चुके सब  तीज त्यौहार हम ,आटे की कंगाली  में ...
काली रात काली ही रह गई, दीपक जला ना थाली में ...
काश के मीठा कुछ तो जाता अपने भी पेट खाली में ...
काश के हम भी शामिल होते अबकी बार दिवाली में ...

Monday, October 13, 2014

ईश्वर और अल्लाह

तो फिर इंसान क्यूँ मारे गए इतने बे-गुनाह ???
सीमा पर तो ईश्वर और अल्लाह की लड़ाई है …

हिन्दू मुस्लिम भाई भाई हो ही नहीं सकते ???
पता करो ये किसने झूठी अफवाह उड़ाई है …

गला काटने वाले कल गले मिलने आएंगे !!!
जरा सब्र करो मियां ,ये मौसम की अंगड़ाई है …

तू बैठ तमाशा देखे , तेरे लिए बन्दे कट मरें !!!
वाह मेरे मौला , क्या खूब तेरी खुदाई है …

Friday, October 3, 2014

सियासत

झूठे हो , ढोंगी हो , गुंडे हो , मवाली हो ...
चुनाव जीत जाओगे , सियासत में चले जाओ...

फिर खून करो ,डाका डालो , इज्जत लूटो, कुछ भी करो...
मजाल किसी की के तुम हिरासत में चले जाओ...

गरीब की बेटी की इज्जत ,जिसे वोट दिया उसने लुटा ...
अब इंसाफ का भ्रम हो तो बंधू अदालत में चले जाओ ...

तेरा कोई कुसूर नहीं नेता जी ना किये तूने कोई दंगे हैं ...
हमने ही आपको वोट दिया तो फिर हम ही लफंगे हैं ...
हम देखने वाले अंधे हैं हम बोलने वाले गूंगे हैं ...
हम दिखते अच्छे वेश में हैं पर हम लोग अक्ल से नंगे हैं ...

Friday, September 26, 2014

छाले

खतरा तुम्हें ही नहीं , सहमा हुआ भगवान भी है ...
मैंने बहुत से मंदिरों पर लटके ताले देखे हैं ...

मत कह पगले के वक़्त तेरी मुठ्ठी में कैद है ...
मैंने मुंह से वापस निकलते निवाले देखे हैं ...

माँ बाप से पूछना कभी अँधेरा क्या चीज़ है ...
तूने ज़िन्दगी में अभी तक सिर्फ उजाले देखे हैं ...

लोग तो मेरी झूठी हंसी पर हँसते रहे मेरे साथ ...
सिर्फ मेरी माँ ने मेरे मुंह के छाले देखे हैं ...

Tuesday, September 23, 2014

गांव

बुरे वक्त में जरूरतमंद का साथ नहीं छोड़ा मैंने …
कितने ही दबे होठों की चुप्पियों को तोडा मैंने … 
वोही आदतें , संस्कार , भोलापन और सादगी … 
शहर में रहता हूँ मगर गांव नहीं छोड़ा मैंने …

Sunday, September 21, 2014

तस्वीर

उसकी तस्वीर सामने आई आज मुद्दतों के बाद ...
सर से चली एक कम्पन सी मेरे पांव तक पहुंची ...

वोही अंदाज-ऐ-मुस्कराहट वोही कातिल हर अदा ...
निकल तस्वीर से वो हूर परि मेरी बाँहों तक पहुंची ...

एक अच्छे घर के लड़के ने तेरा थाम लिया दामन ...
खबर ये शहर शहर होती हुई मेरे गाँव तक पहुंची ...

अच्छा था वो फैसला मुझे छोड़ के उसको अपनाना ...
धूप धूप होती हुई आखिर छाओं तक पहुंची ...

तू पाक पवित्र है प्रिये कोई दाग नहीं है तुझपे ...
तू गंगा जैसी है तभी शिव की जटाओं तक पहुंची ...

तू खुश रहे , हंसती रहे ,फुले फले ,यश ख्याति हो...
निकलकर येही दुआ मेरे दिल से फिजाओं तक पहुंची ...

Tuesday, September 16, 2014

आजकल

जो बेचते हैं आबरू ,खुलेआम बाजार में ,,,
वो कहने लगे हैं खुद को खान-दानी आजकल …

कितने हैं महबूब किसी के , गिनना पड़ता है ,,,
नहीं रही किसी को जरा भी गिलानी आजकल …

मेरे चाँद को खुले आसमां की हवा लग गई ज़माने वालो ,,,
कमबख्त बहुत करने लगा है आना-कानी आजकल …

अपनी यादों से कहो जरा दबे पाओं आया करे ,,,
मेरा बाप करने लगा है मेरी निगरानी आजकल …

कमाल तो ये है के मैं ज़िंदा कैसे हूँ ,,,
बहुत दूर रहता है मेरा दिल-जानी आजकल …

हवा चली तो मेरे यार की खुशबु मुझे नसीब हुई ,,,
बहुत रहती है मुझपे खुदा की मेहरबानी आजकल …

एक कातिल सा मासूक हो और सिनेमाघर की आखिरी सीट ,,,
बस इतनी सी रह गयी है रवि जवानी आजकल …

मदीना

कट रही है ज़िन्दगी , कोई जीना नहीं है अब
दिल मेरा मोहब्बत का मदीना नहीं  है अब
कुछ मुझको छोड़ गए कुछ  को मैंने छोड़ दिया
मेरे अकेलेपन के दर्द की कोई सीमा नहीं है अब…

Sunday, September 14, 2014

सोफे हैं , कालीन है , झुमका है , झूमर है …

सोफे हैं , कालीन है , झुमका है , झूमर है …
मगर घर जैसा तेरे घर में कुछ भी नहीं है  …

मेरे घर में प्यार है ,  वफ़ा है , दुलार है …
अफ़सोस ये सब तेरी नज़र में कुछ भी नहीं है …

मेरा दिल बाजार है ,सुकून , ख़ुशी और ख़ाबों का …
तेरे लायक मेरे बाज़ार सदर में कुछ भी नहीं है …

मैंने माना हैं लाख खामियां तेरे अंदर साजन मेरे …
फिर भी तू नहीं तो मेरे सफर में कुछ भी नहीं है …

सोफे हैं , कालीन है , झुमका है , झूमर है …
मगर घर जैसा तेरे घर में कुछ भी नहीं है  …

Saturday, August 30, 2014

थकान...

मैंने खाक में मिलती सहन्शाहों की शान देखी है...
जो कभी थी बुलंद वो लड़खड़ाती जुबान देखी है ...
मैं कैसे रोक लूँ अपने कदम आराम करने को ...
मैंने अपने बाप के पैरों में थकान देखी है ...

Monday, May 19, 2014

My Heart Is A Ball...

either i'll die or i'll go far away...
when u'll go,i'll die before the day...
if u just wanna go i won't stop...
but how m i don't ask, m okay...
i loved u this wasn't your fault...
this was mine and i'll have to pay...
whatever i say you just ignore it...
i mean a lot whatever you say...
love,care,emotions are words for u... 
my heart is a ball ,you just play...

Wednesday, May 14, 2014

That's The Why...

I am yors,Yo R not mine.
That's the why my heart crying...
I loved u so much.
You hurt me in revert...
You r going from my life.
and i am dying.
That's the why my heart crying...
If you are going why you came.
For me this is not the bloody game.
You were the life of mine.
That's the why my heart crying...
Why you want to divert my mind.
i'll rather die, m not of that kind.
I was black night and u were sunshine.
That's the why my heart crying...


Jageer...

वो सख्स जो दिन रात दिल पे चोट करता था ...
वो सख्स मुझे आज फ़कीर सा लगा ...

जिसके बोलने भर से मुंह से फूल झड़ते थे ...
आज मुझे बोल उसका तीर सा लगा ...

भले वो कह रहे हों खास नहीं ये मामूली सी बात है ...
पर मामला मुझे ये कुछ गम्भीर सा लगा ...

वो जिसने सर पे हाथ रखके 'जीते रहो' बोला ...
वो बूढ़ा आदमी मुझे अपने पीर सा लगा ...

जब मर्जी अपनी कहीं चली ही नहीं तो ...
मुझे शरीर अपना किसी कि जागीर सा लगा ...

उसे देखे बिना जब दो पल भी नहीं कटे ...
तो मुझे दिल अपना उसके वजीर सा लगा ...

और हमसफ़र जब सफ़र के बीच छोड़ गया ...
तो बाप का घर मुझे मंदिर सा लगा ...

Thursday, May 8, 2014

लत नहीं रही...

तू आई तू चली गयी जो पाया था सब खो दिया ...
कुछ भी पाने की या खोने की अब हसरत नहीं रही ...

जब हँसते थे तो हंसती थी जब रोते थे तो रोती थी ...
तेरे जाने के बाद अब वो कुदरत नहीं रही ...

तेरी तन्हाई ने मेरा इस हद तक साथ दिया ...
बे-परवाह ! अब तेरे साथ की मुझे लत नहीं रही ...

कल रात एक तूफ़ान ने औकात दिखा दी अपनी ...
परिंदों के सर पर अब छत नहीं रही ...


लगता है खेलने को कोई नया खिलौना मिल गया ...
अब उस वफ़ा की देवी को मेरी जरुरत नहीं रही ...


Wednesday, May 7, 2014

Mahaboob

महबूब के सिवा आशिक़ को कुछ और भी दिखाई दे ...
सच्ची मोहब्बत को इतना होश कहाँ होता है ...

जो दुनिया की खातिर महबूब का हाथ छोड़ दे ...
ढोंग करते हैं, उन्हें बिछड़ने का अफ़सोस कहाँ होता है ...

महबूब की तो एक नज़र से ही थनथनी आती है ...
शराब से भी आदमी इतना मदहोश कहाँ होता है ...

पथ्थरों के कलेजे चीरे हैं, हवाओं को राह दिखाई है ...
खुदा गवाह है मोहब्बत के सिवा इतना जोश कहाँ होता है ...


Monday, May 5, 2014

Until I Die

Your Face is Just like the sun of sunset...
The shining face is like the smoke of mountains...
Your lovely voice is the medicine over my Wounds...
The world is with me if you are with me...
Otherwise why i am alive...
Whenever you touch me it seems...
I was dying getting second birth...
When you speaks it seems...
I will only listen, do not disturb...
When you laugh it seems...
This is the loveliest thing in the whole world...
Don't go away my heart will cry
Come to me soon until i die...