Tuesday, December 23, 2014

डेरा

मेरा हँसता खेलता डेरा सायद उजड़ जायेगा
कव्वे मेरी मुंडेर पर करने लगे हैं काओं-काओं
यहाँ जगह जगह हुस्न वालों की बे-वफाई के चर्चे हैं
तेरे इस शहर से तो सो दफा अच्छा है मेरा गाओं
याद आता है तेरी बक बक ने पकाये थे कान मेरे
आज तेरी चुप्पियों ने काट लिए मेरे हाथ-पाओं
ख्वाहिश-ए-दिल अब ये है के याद ना अाये तू
अकेला ही चलना है तो फिर क्या देखना धूप-छाओं

Friday, December 19, 2014

इश्क-विश्क

ये हल्का हल्का सा दर्द हालाँकि कई दिनों में जायेगा
अच्छी खबर ये है की कल से आराम है

मैं ख़ास बना रहा उसका जब तक जरुरत थी मेरी
मगर अब मैं उसके लिए और वो मेरे लिए आम है

खबर तो ये भी आई थी के यार बदल लिया उसने
आक थू इश्क़ पर गर इस खबर में जान है

अच्छा अच्छा सा लगता है उसे अब दूर दूर रहना
बड़ा कहती थी तू नहीं तो ये दुनिया शमशान है

ये इश्क-विश्क ये दर्द-वर्द ये रोना धोना उफ्फ
वापस मुड़ चलो रवि बहुत काम है