Thursday, February 26, 2015

दिल को इंतजार नहीं रहा

देखता रहता है खोया खोया सा इधर उधर
किसी का भी अब दिल को इंतजार नहीं रहा

इतना भटका प्यार की प्यास में मारा मारा
प्यास मर गई और अब वो करार नहीं रहा

ये वोही है जिसे इक पल का भी चैन नहीं था
शांत है अब दिल इतना बेकरार नहीं रहा

जो इस पथ्थर दिल पे फिर से चोट कर सके
ज़माने में अब ऐसा कोई हथियार नहीं रहा

बदतमीज सा हो गया है अब एक नहीं सुनता
दिल मेरा अब पहले सा समझदार नहीं रहा

मायूस होके लौट गए सब हंसी मांगने वाले
खुद लूट चूका हूँ मैं अब जमींदार नहीं रहा

कर्जवान हुआ करता था किसी के प्यार का
सब चूका दिया अब किसी का उधार नहीं रहा

आंधी बनके दिल्लगी सब उड़ा ले गई
फकीरों का सब लूट गया घर बार नहीं रहा ...

Wednesday, February 11, 2015

सहारा चाहिए

तेरी सो मजबूरियां रही होंगी मेरा क़त्ल करने की
मैं खुद मर जाऊं इक बस तेरा इशारा चाहिए

तेरे दिल की तू जाने मगर मेरी आरजू है ये
हर एक सांस मुझे मेरा नहीं , हमारा चाहिए

तिनका-तिनका शमशान ले जा रहा ये दर्द
जरा जरा सा नहीं अब तो मुझे सारा चाहिए

गहरा समंदर ,खूंखार तूफ़ान ,बेबस मांझी
एक डूबती हुई नैया को किनारा चाहिए

डगमगाते कदम ,सुनसान गलियां ,दर्द-ऐ-दिल
रवि बाबू आज तुझे भी कोई सहारा चाहिए

Tuesday, February 3, 2015

फ़कीर

धुआं सा लग गया है हर सांस को जैसे
यूँ ही खिंचा खिंचा सा पूरा शरीर रहता है

हर कदम रुकूँ मैं , सोचूं मैं ,जाना है कहाँ
आजकल मेरे अंदर एक हकीर रहता है

आज तू नहीं , तेरा साथ नहीं ,सौगात नहीं
सड़कों पे सना धुल में एक फ़कीर रहता है

शायद के बरसात हो वीराने बंजर दिल पे
इसी चाह में भटकता कोई राहगीर रहता है

दहलीज पर ना जाने कब हुस्न दस्तक दे
इसी ताक़ में खड़ा पूरा दिन वजीर रहता है

बहुत पुराना साथी बहुत दूर चला गया है
नयनों में अब जरा जरा सा नीर रहता है

ठोकरें बहुत लगी मगर गिरते गिरते बचा हूँ
मेरे साथ हर वक़्त मेरा पीर रहता है

इश्क़ ने इस सहर में तबाही मचा रखी है
हर गली हर कूचे पर एक कबीर रहता है...