खतरा तुम्हें ही नहीं , सहमा हुआ भगवान भी है ...
मैंने बहुत से मंदिरों पर लटके ताले देखे हैं ...
मत कह पगले के वक़्त तेरी मुठ्ठी में कैद है ...
मैंने मुंह से वापस निकलते निवाले देखे हैं ...
माँ बाप से पूछना कभी अँधेरा क्या चीज़ है ...
तूने ज़िन्दगी में अभी तक सिर्फ उजाले देखे हैं ...
लोग तो मेरी झूठी हंसी पर हँसते रहे मेरे साथ ...
सिर्फ मेरी माँ ने मेरे मुंह के छाले देखे हैं ...
मैंने बहुत से मंदिरों पर लटके ताले देखे हैं ...
मत कह पगले के वक़्त तेरी मुठ्ठी में कैद है ...
मैंने मुंह से वापस निकलते निवाले देखे हैं ...
माँ बाप से पूछना कभी अँधेरा क्या चीज़ है ...
तूने ज़िन्दगी में अभी तक सिर्फ उजाले देखे हैं ...
लोग तो मेरी झूठी हंसी पर हँसते रहे मेरे साथ ...
सिर्फ मेरी माँ ने मेरे मुंह के छाले देखे हैं ...