Saturday, August 30, 2014

थकान...

मैंने खाक में मिलती सहन्शाहों की शान देखी है...
जो कभी थी बुलंद वो लड़खड़ाती जुबान देखी है ...
मैं कैसे रोक लूँ अपने कदम आराम करने को ...
मैंने अपने बाप के पैरों में थकान देखी है ...