ज़माने ने तेरे आशिक के हाथ काट लिए
तुझे तेरे हाल पे ना छोड़ता तो क्या करता
हुस्न सर झुकाये खड़ा था मोहब्बत की अदालत में
मैं इल्जाम अपने सर पर ना ओढ़ता तो क्या करता
माँ बहुत परेशां होती थी मुझे बिखरे हुए को देखके
तिनका-2 मैं खुद को गर ना जोड़ता तो क्या करता
मुझे देखते ही हक्का बक्का रह गया कातिल मेरा
मैं उसे पकड़के ना झंझोड़ता तो क्या करता
मेरा इन्तजार करते करते बूढ़ी हो गई मौत मेरी
जिंदगी मैं तुझसे नाता ना तोड़ता तो क्या करता
तुझे तेरे हाल पे ना छोड़ता तो क्या करता
हुस्न सर झुकाये खड़ा था मोहब्बत की अदालत में
मैं इल्जाम अपने सर पर ना ओढ़ता तो क्या करता
माँ बहुत परेशां होती थी मुझे बिखरे हुए को देखके
तिनका-2 मैं खुद को गर ना जोड़ता तो क्या करता
मुझे देखते ही हक्का बक्का रह गया कातिल मेरा
मैं उसे पकड़के ना झंझोड़ता तो क्या करता
मेरा इन्तजार करते करते बूढ़ी हो गई मौत मेरी
जिंदगी मैं तुझसे नाता ना तोड़ता तो क्या करता