Saturday, March 5, 2016

यूँ ना समझिए की आशिक मर गया है अंदर का ...

वक़्त ले जा रहा है मुझे अपने साथ बहाके मगर,
यूँ ना समझिए की आशिक मर गया है अंदर का ...

ये जो सबको नज़र आ रहा है एक गन्दा सा नाला ,
मत भूलिए की ये भी आशिक है समंदर का ...

निशान जिंदगी-भर जाता नहीं है दिल से ,
घाव ऐसा ही होता है अपनों के दिए खंजर का ...

सर्द हवाएं और अकेलापन , दिल जलना मुनासिफ है ,
फिर चाहे वो रवि का हो या हो किसी सिकंदर का ...