थकी थकी सी रुकी रुकी सी ज़िन्दगी
जैसे किसी सहारे की मोहताज सी है
अजनबी निगाहों से देखता है हर कोई
अपनों की भी बदली हुई अब आवाज सी है
हारा हुआ मैं एक गरीब सहन्शाह ही सही
तू मगर मेरे दिल में आज भी मुमताज सी है
ये मत सोचना के कोई नहीं है तेरा जहाँ में
आज भी शान तेरी इन नजरों में किसी ताज सी है
मेरी मोहब्बत है आज भी ज़िंदा ज़माने में
आज भी तेरी नजरों में मेरे लिए ये जो लाज सी है
जैसे किसी सहारे की मोहताज सी है
अजनबी निगाहों से देखता है हर कोई
अपनों की भी बदली हुई अब आवाज सी है
हारा हुआ मैं एक गरीब सहन्शाह ही सही
तू मगर मेरे दिल में आज भी मुमताज सी है
ये मत सोचना के कोई नहीं है तेरा जहाँ में
आज भी शान तेरी इन नजरों में किसी ताज सी है
मेरी मोहब्बत है आज भी ज़िंदा ज़माने में
आज भी तेरी नजरों में मेरे लिए ये जो लाज सी है
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